साधना ने सिद्धार्थ की डायरी में लिखे शब्दों से आहत होकर आत्महत्या का फैसला किया ।
वो कुँए की मुंडेर पर चढ़कर कूदने के लिए हिम्मत जुटा ही रही थी कि तभी दीपा की आत्मा को लगा कि कहीं यह आत्महत्या का अपना फैसला बदल ना दे इसलिए उसने धक्का दे दिया जो सावन की आत्मा ने देख लिया और साधना को कुँए में गिरने से बचा लिया ।
साधना के सिर पर चोट लगने से वो बेहोश हो गई। सिद्धार्थ बच्चों को पढ़ाने के बाद कुँए पर पानी पीने आया तो वहाँ बेहोश पड़ी साधना को देखते ही परेशान हो अपनी गोद में उठा अपने कमरे में ले आया।
अब गतांक से आगे...
पता नहीं यह कुँए पर क्या करने आई थी इस समय। अगर माँ ने इसे यहांँ पर देख लिया तो उनका नॉन स्टॉप बोलना शुरू हो जाएगा और घर सिर पर उठा लेंगी। सिद्धार्थ ने खुद से कहा।
साधना को बिस्तर पर लिटा कर उसके माथे पर लगी चोट से खून साफ कर डिटोल से पोंछ कर बैंडेज लगा कर सिद्धार्थ खुद को उसका माथा चूमने से नहीं रोक पाया।
"कितनी मासूम है, मुझे इसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए पर पता नहीं क्यों मैं दीपा को नहीं भूल पा रहा।जैसे ही साधना को अपने आगोश में लेने का मन करता है ऐसा प्रतीत होता है कि दीपा यहीं मेरे पास है।"
कितने साल हो गए उससे दूर हुए फिर भी उसके शरीर से आती सिगरेट की महक जिसने मुझे अपना दीवाना बना दिया था,आज भी वो महक मेरे आसपास ही रहती है ।
वो भी दिल्ली की थी और यह साधना भी दिल्ली की। जमीन आसमान सा फर्क है दोनों में। वो आसमान में उड़ाती धुएं से लिपटी और यह धरती माँ के समान शांत।वो कभी भी मेघ की तरह गरज पड़ती और अपना प्यार या पता नहीं सिर्फ वासना ही था उसका प्यार बरसा दिया करती थी मुझ पर।
मैं भूलना चाहता हूँ वो चार साल जो उसके साथ बिताए।
"तुम मेरी मदद करोगी ना।"
,,वो बिस्तर पर लेटी बेहोश साधना से बात कर रहा था या खुद से ही...
जो दीपा की आत्मा सुन रही थी।
सावन की आत्मा ने उसे खूब पीटा था और वो दर्द से कराहती हुई सिद्धार्थ के कमरे में आ कर उस खपरेल वाली छत के बीच लटकते हुए पुराने मटमैले पंखे की पंखुड़ियों पर आराम कर रही थी और सिद्धार्थ पर नजर गड़ाए हुए थी।
"मुझे भूल जाएगा ऐसा तो मैं होने नहीं दूंगी।"
मेरी मौत की खबर पाकर भी यह मेरे अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हुआ।
मैं जैसी थी वैसी ही इसको अच्छी लगती थी और अब यह गवारन इसे पसंद आने लगी है। दिल्ली की चकाचौंध में गटर भी हैं तो इसे गटर किनारे रहने वाले लोग ही पसंद आने लगे।
छि: सिद्ध हाउ चीप इज़ युअर च्वाइस...
क्रमशः
कविता झा'काव्या कवि'
# लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता
नंदिता राय
01-Oct-2022 09:20 PM
बेहतरीन
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Gunjan Kamal
01-Oct-2022 12:54 AM
👌👏🙏🏻
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